असली राम कौन है ?
राम शब्द का अभिप्राय प्रभु से होता है
क्योंकि अगर हम राम शब्द का अभिप्राय केवल भगवान श्री राम जो कि द्वापर युग में ही आए थे उनसे माने तो सतयुग में भी अभिवादन के लिए राम राम ही कहा जाता था जब व्यक्ति एक दूसरे से मिलते थे राम-राम ने उच्चारण करते थे कहते थे
राम राम जी राम राम जी श्री राम भगवान द्वापर युग में आए विष्णु अवतार के रूप में दशरथ जी के यहां जन्म लिया तथा अपनी पूरी जीवन लीला करके श्री राम प्रभु के रूप में विख्यात हुए
परंतु जिन्होंने सारी सृष्टि की रचना की है जिसने सारे ब्रह्मांड को रचा है जिसने ब्रह्मा विष्णु महेश को भी रचा है तथा उन्हीं की कृपा से सभी को अपना कर्तव्य एवं आयु प्राप्त हुई है वह पूर्ण परमात्मा कबीर देव है जिनका प्रमाण पवित्र ऋग्वेद मंडल नंबर 9 सूक्त 82 के मंत्र नंबर 1 और 2 में बताया गया है तथा उनका नाम कबीर देव है यह भी ऋग्वेद में वर्णित है श्री राम भगवान माता के गर्भ से आए थे जबकि पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी से सह शरीर आते हैं और सह शरीर ही जाते हैं इसलिए वही पूर्ण परमात्मा है तथा चारों युगों में उनका नाम कुछ इस प्रकार होता है
सतयुग में सत सुकृत नाम होता है द्वापर में मुनिंद्र नाम होता है त्रेता में करुणामय नाम होता है तथा कलयुग में अपने वास्तविक नाम कबीर देव के नाम से पूर्ण परमात्मा प्रकट होते हैं
तथा यह ही अविनाशी परमात्मा है
क्योंकि श्री देवी भागवत पुराण में स्कंद तीन पृष्ठ नंबर 123 पर लिखा है कि श्री विष्णु जी श्री महेश जी तीनों स्वीकार करते हैं कि हमारा तो आविर्भाव तथा तिरोभाव हुआ करता है यानी हम भी जीवन और मरण के बंधन में बंधे हुए हैं हम भी मुक्त नहीं है यथार्थ अविनाशी नहीं है तो बाकी देवता और अन्य तो हो ही नहीं सकते
इन सभी तथ्यों से यह तो साफ हो गया है कि पूर्ण परमात्मा कबीर देव है जो वास्तव में अविनाशी हैं जिनका जन्म मरण नहीं होता है तथा वह स्वेच्छा से अपने लोक से गमन कर के प्रति लोगों की और आते हैं तथा सर्वर लोगों में गति करके आ करके अपनी अच्छी आत्माओं को मोक्ष का रास्ता दिखा कर उन्हें मूल मंत्र देकर मर्यादा में रहकर भक्ति करवा कर उनके जीवन का कल्याण करते हैं