Saturday, June 6, 2020

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कबीर साहेब द्वारा सर्वानंद को शरण में लेना !
पंडित सर्वानंद ने अपनी माँ से कहा कि मैंने सभी ऋषियों को शास्त्रार्थ में हरा दिया है तो मेरा नाम सर्वाजीत रख दो लेकिन उनकी माँ ने सर्वानंद से कहा कि पहले आप कबीर साहेब को शास्त्रार्थ में हरा दो तब आपका नाम सर्वाजीत रख दिया जाएगा। जब सर्वानंद कबीर साहेब के पास शास्त्रार्थ करने पहुँचे तो कबीर साहेब ने कहा कि आप तो वेद-शास्त्रों के ज्ञाता हैं मैं आपसे शास्त्रार्थ नहीं कर सकता। तब सर्वानंद ने एक पत्र लिखा कि शास्त्रार्थ में सर्वानंद जीते और कबीर जी हार गए। उस पर कबीर साहेब जी से अंगूठा लगवा लिया। लेकिन जैसे ही सर्वानंद अपनी माँ के पास जाते तो अक्षर बदल कर कबीर जी जीते और पंडित सर्वानंद हार गए ये हो जाते। ये देखकर सर्वानंद आश्चर्य चकित हो गए और आखिर में हार मानकर सर्वानंद ने कबीर साहेब की शरण ग्रहण की। 


सम्मन को पार करना !
सम्मन बहुत गरीब था। जब कबीर परमात्मा का भक्त बना। तब परमात्मा के आशीर्वाद से दिल्ली का महान धनी व्यक्ति हो गया, परंतु मोक्ष की इच्छा नहीं बनी।सम्मान ने अपने परमेश्वर रूप सतगुरु के लिए अपने बेटे की कुर्बानी की थी। जिस कारण अगले जन्म में नौशेरखान शहर के राजा के घर जन्मा। फिर ईराक देश में बलख नामक शहर का राजा अब्राहिम सुल्तान बना। परमात्मा ने उस आत्मा के लिए अनेकों लीलाएं की और उसका उद्धार किया
दादू जी का उद्धार !
सात वर्ष की आयु के दादू जी को परमात्मा कबीर जी जिंदा महात्मा के रूप में मिले व ज्ञान समझाया और सतलोक दिखाया।इसलिए परमात्मा कबीर जी की महिमा गाते हुए दादू  जी कहते हैं :-जिन मोकूं निज नाम दिया, सोई सतगुरु हमार ।दादू दूसरा कोई नहीं, कबीर सिरजनहार ।।
मीरा बाई को शरण में लेना
मीरा बाई पहले श्री कृष्ण जी की पूजा करती थी। एक दिन संत रविदास जी तथा परमात्मा कबीर जी का सत्संग सुना तो पता चला कि श्री कृष्ण जी नाशवान हैं। समर्थ अविनाशी परमात्मा अन्य है। संत रविदास जी को गुरू बनाया। फिर अंत में कबीर जी को गुरू बनाया। तब मीरा बाई जी का सत्य भक्ति बीज का बोया गया।गरीब, मीरां बाई पद मिली, सतगुरु पीर कबीर। देह छतां ल्यौ लीन है, पाया नहीं शरीर।।
संत गरीबदास जी को शरण में लेना
परमात्मा कबीर जी ने दस वर्षीय बालक गरीबदास जी को सतलोक के दर्शन करवाए, ज्ञान समझाया और अपनी शरण में लिया और सतलोक का वासी किया।शेखतकी के अत्याचारों को माध्यम बना लाखों जीवों का उद्धार करना
स्वामी रामानंद जी से ज्ञान चर्चा के लिए आए गोरखनाथ जी से परमेश्वर कबीर जी ने खुद चर्चा की और गोरखनाथ जी को पराजित कर सत्य ज्ञान से परिचित करवा मोक्ष की राह दिखाई।
तेरह गाड़ी कागजों को लिखना    
एक बार दिल्ली के बादशाह ने कहा कि कबीर जी ढ़ाई दिन में तेरह गाड़ी कागजों को लिख दे तो मैं उनको परमात्मा मान जाऊंगा । परमात्मा ने गाड़ियों में रखे कागजों पर अपनी डण्डी घुमा दी। उसी समय सर्व कागजों में अमृतवाणी सम्पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान लिख दिया। राजा को विश्वास हुआ।
धर्मदास को सदमार्ग दिखाना
भक्त धर्मदास जी बांधवगढ़ के धनी सेठ थे। देवी तथाशिव-पार्वती की पूजा, तीर्थों व धामों पर जाकर स्नान करना आदि शास्त्रविरूद्ध साधना किया करता था। धर्मदास जी जब तीर्थ यात्राओं पर निकले तो परमात्मा कबीर जी जिंदा महात्मा के वेश में उन्हें मिले और बार-बार ज्ञान की चोट की, सतलोक के दर्शन कराए और अपनी शरण में लिया।
परमपिता परमेश्वर ने अपने बच्चों के कल्याण के लिए अनेकों रूप बनाए तथा उनके सामने जाकर उन्हें तत्वज्ञान दिया उनको हर संभव मदद की तथा मोक्ष मंत्र देकर उनका कल्याण किया
अधिक जानकारी के लिए देखिए साधना टीवी चैनल 7:30 से 8:30 तक ईश्वर टीवी चैनल 8:30 से 9:30 तक

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