Tuesday, August 4, 2020

Real_Ram

असली राम कौन है ?
राम शब्द का अभिप्राय प्रभु से होता है
क्योंकि अगर हम राम शब्द का अभिप्राय केवल भगवान श्री राम जो कि द्वापर युग में ही आए थे उनसे माने तो सतयुग में भी अभिवादन के लिए राम राम ही कहा जाता था जब व्यक्ति एक दूसरे से मिलते थे राम-राम ने उच्चारण करते थे कहते थे
 राम राम जी राम राम जी श्री राम भगवान द्वापर युग में आए विष्णु अवतार के रूप में दशरथ जी के यहां जन्म लिया तथा अपनी पूरी जीवन लीला करके श्री राम प्रभु के रूप में विख्यात हुए
परंतु जिन्होंने सारी सृष्टि की रचना की है जिसने सारे ब्रह्मांड को रचा है जिसने ब्रह्मा विष्णु महेश को भी रचा है तथा उन्हीं की कृपा से सभी को अपना कर्तव्य एवं आयु प्राप्त हुई है वह पूर्ण परमात्मा कबीर देव है जिनका प्रमाण पवित्र ऋग्वेद मंडल नंबर 9 सूक्त 82 के मंत्र नंबर 1 और 2 में बताया गया है तथा उनका नाम कबीर देव है यह भी ऋग्वेद में वर्णित है श्री राम भगवान माता के गर्भ से आए थे जबकि पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी से सह शरीर आते हैं और सह शरीर ही जाते हैं इसलिए वही पूर्ण परमात्मा है तथा चारों युगों में उनका नाम कुछ इस प्रकार होता है
सतयुग में सत सुकृत नाम होता है द्वापर में मुनिंद्र नाम होता है त्रेता में करुणामय नाम होता है तथा कलयुग में अपने वास्तविक नाम कबीर देव के नाम से पूर्ण परमात्मा प्रकट होते हैं
तथा यह ही अविनाशी परमात्मा है
क्योंकि श्री देवी भागवत पुराण में स्कंद तीन पृष्ठ नंबर 123 पर लिखा है कि श्री विष्णु जी श्री महेश जी तीनों स्वीकार करते हैं कि हमारा तो आविर्भाव तथा तिरोभाव हुआ करता है यानी हम भी जीवन और मरण के बंधन में बंधे हुए हैं हम भी मुक्त नहीं है यथार्थ अविनाशी नहीं है तो बाकी देवता और अन्य तो हो ही नहीं सकते 

इन सभी तथ्यों से यह तो साफ हो गया है कि पूर्ण परमात्मा कबीर देव है जो वास्तव में अविनाशी हैं जिनका जन्म मरण नहीं होता है तथा वह स्वेच्छा से अपने लोक से गमन कर के प्रति लोगों की और आते हैं तथा सर्वर लोगों में गति करके आ करके अपनी अच्छी आत्माओं को मोक्ष का रास्ता दिखा कर उन्हें मूल मंत्र देकर मर्यादा में रहकर भक्ति करवा कर उनके जीवन का कल्याण करते हैं

Wednesday, July 15, 2020

CoronaLikeEpidemic

महामारी क्यों आती है :-जब जिस देश में अथवा स्थान पर पुण्य का ह्रास तथा पाप की अधिकता होती है तथा मानव राक्षसी कार्यों में संलग्न हो जाता है एवं निर्दयता पूर्ण आचरण करने लग जाता है तब उस देश एवं स्थान पर ऐसी बीमारियां अथवा महामारी प्रवेश करती है जिन से बच पाना मनुष्य के लिए नामुमकिन सा हो जाता है अथवा उन बीमारियों से निजात पाने के लिए कोई दवा कारगर नहीं साबित होती है तथा उस बीमारी से उठी परेशानियों का सामना हमें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूप से करना पड़ता है यह बीमारियां पुरातन काल में भी आई थी तथा वर्तमान में भी हम एक ऐसी ही महामारी का प्रकोप झेल रहे हैं जैसे कि कोरोना एक वैश्विक स्तर की महामारी है जिसे WHO ने वैश्विक लाइलाज महामारी घोषित किया है
बचने के उपाय:-लाइलाज होने के कारण उनका कहीं भी लाज हो पाना साइंस के लिए मुश्किल है मेडिकल साइंस सिर्फ से बचने के लिए कई तरीके अपनाती हैं जिससे आप उन लोगों के संपर्क में ला रहे हैं जिन्हें यह बीमारी है इसके अलावा मेडिकल साइंस में भी इसका कोई भी इलाज नहीं है

से बचने के लिए उपाय दो तरीके से इसका उपाय निकाला जा सकता है
*पहला मेडिकल साइंस के अनुसार*  
मेडिकल साइंस केवल बचने के लिए ही उपाय बता सकती हैं जैसे सैनिटाइजर का उपयोग हाथ और शरीर के लिए करना तथा मुंह पर मास्क लगाना आदि आदि कुल मिलाकर इस बीमारी से निजात पाने के लिए कोई उपाय नहीं मेडिकल साइंस के अनुसार केवल बचने के उपाय ही है


*दूसरा आध्यात्मिक रूप से अथवा सद्भक्ति से*
दूसरा आध्यात्मिक रूप से सत भक्ति करने से कई बीमारियों से निजात मिलता है जैसे कैंसर ट्यूमर एड्स आदि कई प्रकार की लाइलाज मारिया एवं महामारी से निजात मिलता है
केवल आवश्यकता होती है सद्भक्ति एवम् सद्गुरु की
अब सबसे बड़ी समस्या यह आ जाती है कि


 *सदगुरु और सद्भक्ति को कैसे पहचाने*
सद्गुरु वही होता है जो गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 तक में उल्टे लटके हुए संसार रूपी वृक्ष को जड़ से पत्तों तक गिराने वाला तत्वज्ञान बताने वाला तत्वदर्शी संत होता है
तथा कुरान शरीफ के सूरत फुरकानी 25 आयत 52 से 59 में जिस बा खबर के लिए बताया गया है उस बा खबर की खोज करने के पश्चात अथवा तत्वदर्शी संत खोज करने के पश्चात
सारे पापों से निजात मिलता है बीमारियों से निजात मिलता है घोर से घोर पाप का विनाश होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति भी होती है
जिसका प्रमाण यजूर्वेद के अध्याय 5 के मंत्र 32 में लिखा हुआ है


समाधान के प्रत्यक्ष प्रमाण :-सत भक्ति करने से सभी पापों का विनाश एवं देहीक अध्यात्मिक तथा सांसारिक लाभ भी मिलते हैं लेकिन इसके लिए पूर्ण गुरु बनाना आवश्यक है जो कि वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही है जो पवित्र वेद पुराण कुरान गुरु ग्रंथ साहिब व बाइबल के अनुसार ज्ञान बता रहे हैं जो कि सभी सत ग्रंथों तो से प्रमाणित है इनमें सभी में सदगुरुदेव जी ने प्रमाणित कर दिया है कि कबीर परमेश्वर ही पूर्ण परमात्मा है तथा उनकी भक्ति करने से ही यह सभी लाभ हमें भक्ति करने के दौरान मिलते हैं 
पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने के लिए ना किसी शुल्क का देना निशुल्क भोजन निशुल्क नाम दीक्षा किसी तरह की कोई ठगी नहीं यह भी सद्गुरु की पहचान होती है जो केवल परोपकार के लिए ही कार्य करते हैं
ऐसे कई प्रमाण है जिनकी लाइलाज बीमारियां पूर्ण परमात्मा की सत भक्ति करने से बिना किसी मेडिकल दवाइयों के ठीक हो गई तथा सांसारिक सुखों की प्राप्ति भी हुई तथा कई आध्यात्मिक लाभ भी हुए है जिनमें कुछ इस प्रकार हैं

Wednesday, July 8, 2020

KnowledgeAndScience

ज्ञान :-  ज्ञान उसे कहते हैं जो किसी वस्तु व्यक्ति अथवा स्थान के बारे में जानकारी हो उस जानकारी के ऊपर किसी व्यक्ति विशेष का दृढ़ निश्चय हो की पूर्ण रूप से वह उसे जानता है उसे ज्ञान कहा जाता है

*विज्ञान* विज्ञान उसे कहते हैं जिस ज्ञान को प्रमाण सहित प्रमाणित किया जा सके उसे विज्ञान कहते है विज्ञान तथ्यों पर व प्रमाण पर ही टिकी होती है जिसका जन विशेष नहीं सबका दृढ़ निश्चय होता है यह पूर्णतया सत्य है


तत्वज्ञान भी विज्ञान होता है फिर से शास्त्रों में संतों का ज्ञान तत्वज्ञान कहा गया है क्योंकि वह पूर्ण तरह से प्रमाणित होता है तथा व्यवहारिक रुप से भी श्रेष्ठ तथा प्रमाणित होता है यहां तत्व का अर्थ मूल भाव से होता है जिससे पर्दा पूर्ण संत एवं सद्गुरु ही उठा सकते हैं अन्य नहीं

गीता अध्याय 15 मंत्र 1 से 4 में तत्वदर्शी संत के बारे में बताया है कि उसकी प्राप्ति के पश्चात संवाद प्रणाम करके सरलता पूर्वक प्रश्न करने से वह मोक्ष मार्ग का रास्ता प्रशस्त करता है तथा उस लोक में ले जाता है जो गीता के अध्याय 18 श्लोक 62, वें में लिखा हुआ है सनातन परमधाम शाश्वत स्थान आदि नामों से बताया गया है जो विनाश में नहीं आता है नहीं वहां की जीवात्मा जन्म मृत्यु के चक्र में हैं जहां  जाने के बाद जन्म मृत्यु नहीं होता सदा सदा के लिए सुख एवं जन्म जन्म मरण से छुटकारा मिलता है


Saturday, July 4, 2020

कबीरपरमेश्वर_की_लीलाएं DivinePlay_Of_GodKabir

कबीर परमेश्वर जी द्वारा अपने जीवन में  लीलाएं की जो अद्भुत एवं चमत्कारिक थी उन्होंने अपनी प्यारी आत्माओं का कल्याण किया उन्हें सत भक्ति दिखाकर मोक्ष मार्ग प्रदान किया इन्हीं लीलाओं में कुछ इस प्रकार हैं दामोदर सेठ के डूबते हुए जहाज को बचाना सेठ धर्मदास जी को माया के जाल से छुड़ाना मीराबाई को श्री कृष्ण से ऊपर परम शक्ति का ज्ञान कराकर मुक्त करवाना संत रविदास जी को ज्ञान देकर उनका मार्गदर्शन करना स्वामी रामानंद जी को ज्ञान देकर जातिभेद मिटाना वेश्या गणिका को ज्ञान देकर सद्भक्ति देकर उसका मोक्ष करवाना जीवा दत्ता के सूखे पेड़ को फिर से हरा-भरा करना आदरणीय गरीबदास जी को 10 वर्ष की उम्र में सद्भक्ति एवं ज्ञान कराना आदि कई लीलाएं 

Wednesday, July 1, 2020

true.devotion

saint Rampal Ji Maharaj

  •  प्रश्न:- सद्भक्ति क्यों करना जरूरी है ?
      उत्तर:- सत भक्ति इसलिए जरूरी है क्योंकि हमें  जीवन में आर्थिक आध्यात्मिक व शारीरिक लाभ मिले जिसके जीवन में अत्यंत आवश्यक है

  • सत भक्ति के लाभ 
आज हम लाभ के लिए भटक रहे हैं कि हमें किसी भी तरह से आध्यात्मिक आर्थिक मैं मानसिक शारीरिक लाभ मिले लेकिन यह सब भी बिना परमात्मा की कृपा के बिना सत भक्ति के बिना पूर्ण गुरु की शरण में गए हमें नहीं मिल सकते क्योंकि पूर्ण गुरु शक्तियों के से परिचित करवाता है जिनसे यह लाभ प्राप्त होते हैं इसीलिए श्रीमद्भगवद्गीता में कहां गया है
  • श्रीमद् भगवतगीता से प्रमाण
श्रीमद भगवद गीता अध्याय 16 मंत्र 23 और 24 के अनुसार जो भी व्यक्ति शास्त्र अनुकूल भक्ति नहीं करता है उसे न तो सिद्धि प्राप्त होती है नहीं उसके कार्य सिद्ध होते हैं नहीं उसे कोई लाभ मिलता है अतः हमें
  •          
  • भक्ति करनी चाहिए तथा शास्त्र अनुकूल भी होनी चाहिए ताकि हमें वर्तमान में जी रहे जीवन में भी सुख मिले और मृत्यु उपरांत जम के दुतो से छुटकारा तथा सतलोक उस सनातन परमधाम में वास मिले जा वहां जाकर व्यक्ति जन्म मरण के चक्कर में दोबारा नहीं पड़ता है तथा पृथ्वी लोक पर उसका आगमन पुनः नहीं होता है
        
  • पूर्ण परमात्मा के मंत्र का जाप का प्रमाण
भगवत गीता में वर्णित गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में लिखा हुआ है कि ओम तत्सत इस तरह से तीन प्रकार से पूर्ण गुरु से प्राप्त मंत्र सर्व सुखो कथा पूर्ण मोक्ष के लिए अत्यंत आवश्यक है इसीलिए भक्ति करना आवश्यक है हमें भक्ति करने पर सर्व लाभ एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है

वर्तमान में पूर्ण सद्गुरु एवं उनकी पहचान
           

  • श्रीमद भगवत गीता के अनुसार पूर्ण सद्गुरु अध्याय 15 श्लोक 1 के अनुसार उल्टे लटके हुए संसार रूपी वृक्ष को जड़ से पत्तो तक गिनाने वाला वह उसके सभी भाग का वर्णन करने वाला गुरु ही पूर्ण गुरु होता है तथा उसके अनुसार बताई गई साधना से सांसारिक सुख एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण संत है जो शास्त्र अनुसार शास्त्र अनुकूल भक्ति बता रहे हैं तथा उनसे मिलने वाले लाभों का वर्णन भी बता रहे हैं से नाम उपदेश लेकर हमें उन अध्यात्मिक शक्तियों का आभास होता है जो आज दिन तक गुप्त थी
अधिक अधिक जानकारी के लिए देखिए साधना टीवी चैनल 7:30 से 8:30 बजे तक तथा पढ़िए ज्ञान गंगा पुस्तक तथा डाउनलोड कीजिए से फ्री में संत रामपाल जी महाराज जी की वेबसाइट से

Tuesday, June 16, 2020

अल्लाह कबीर ही पूर्ण परमात्मा है - कुरान शरीफ

पवित्र कुरान प्रमाणित करती है कि अल्लाह कबीर साहेब ही सूरत फुरकानी 25 आयत 52 में लिखा है कि कबीर साहेब ही कबीर अल्लाह तथा  पूर्ण प्रभु है तथा कबीर अल्लाह के लिए अधिक रहना
तथा संघर्ष करना है उसके लिए
तथा  सूरत फुरकानी 25 के 58 में भी लिखा है
हजरत मोहम्मद जी जिसे अपना गुरु मानते हैं पर कुरान का ज्ञान दाता अल्लाह प्रभु किसी और पूर्ण प्रभु की तरफ संकेत करता है जिसमें कहता है कि हे पैगंबर उस कबीर परमात्मा पर विश्वास रख जो तुझे जिंदा महात्मा के रूप में आकर मिला था वह कभी मरने वाला नहीं है अर्थात वास्तव में अविनाशी है तारीफ के साथ उसकी पकी का गुणगान कीए जा वह कबीर अल्लाह पूजा के योग्य है तथा उसके उपासको के सर्व वह पापों को नष्ट करने वाला है
अधिक जानकारी के लिए देखिए साधना टीवी चैनल 7:30 से 8:30 तक ईश्वर टीवी चैनल 8:30 से 9:30 तक

Tuesday, June 9, 2020

पूर्ण परमात्मा कबीर साहिब जी के चमत्कार miracles of supreme God Kabir Sahib

💥"सिकंदर लोधी बादशाह के जलन का असाध्य रोग ठीक करना"
कबीर परमेश्वर जी ने दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी के जलन का असाध्य रोग आशीर्वाद मात्र से ठीक कर दिया। वह रोग जो किसी काजी, मुल्ला के जंत्र-मंत्र से भी ठीक नहीं हुआ था।

💥"स्वामी रामानंद जी को जीवित करना"
दिल्ली के बादशाह सिकंदर लोधी ने स्वामी रामानंद जी की गर्दन तलवार से काट दी थी। कबीर साहेब जी ने देखा कि रामानंद जी का धड़ कहीं और सिर कहीं पर पड़ा था। तब कबीर साहेब ने मृत शरीर को प्रणाम किया और कहा कि गुरुदेव उठो। दूसरी बार कहते ही सिर अपने आप उठकर धड़ पर लग गया और रामानंद जी जीवित हो गए।
💥"मृत लड़के कमाल को जीवित करना"
शेखतकी का कहना था कि अगर कबीर अल्लाह है, तो किसी मुर्दे को जीवित कर दे तो अल्लाह मान लूंगा। सुबह एक 10-12 वर्ष की आयु के लड़के का शव पानी में तैरता हुआ आ रहा था। शेखतकी ने जंत्र-मंत्र से प्रयत्न किया लेकिन लड़का जीवित नहीं हुआ। तब कबीर साहेब ने कहा कि हे जीवात्मा जहाँ भी है, कबीर हुक्म से मुर्दे में प्रवेश कर और बाहर आ। इतना कहा ही था कि शव में कम्पन हुई तथा जीवित होकर बाहर आ गया।
💥"भैंसे से वेद मन्त्र बुलवाना"
एक समय तोताद्रि नामक स्थान पर सत्संग था। सत्संग के पश्चात भण्डारा शुरू हुआ। भंडारे में भोजन करने वाले व्यक्ति को वेद के चार मन्त्र बोलने पर प्रवेश मिल रहा था। कबीर साहेब की बारी आई तब थोड़ी सी दूरी पर घास चरते हुए भैंसे को बुलाया। तब कबीर जी ने भैंसे की कमर पर थपकी लगाई और कहा कि भैंसा पंडित इन पंडितों को वेद के चार मन्त्र सुना दे। भैंसे ने वेद के मंत्र सुना दिए।
💥"गोरखनाथ से गोष्ठी"
एक बार कबीर परमेश्वर जी और गोरखनाथ जी की गोष्ठी हुई। गोरखनाथ जी गंगा नदी की ओर चल पड़ा। उसमें जा कर छलांग लगाते हुए कबीर जी से कहा कि मुझे ढूंढ दो मैं आपका शिष्य बन जाऊँगा। गोरखनाथ मछली बन कर गए। कबीर साहेब ने उसी मछली को पानी से बाहर निकाल कर सबके सामने गोरखनाथ बना दिया। तब गोरखनाथ कबीर जी के शिष्य बने।
💥"मृत गऊ को जीवित करना"
सिकंदर लोधी ने एक गऊ के तलवार से दो टुकड़े कर दिये। गऊ को गर्भ था और बच्चे के भी दो टुकड़े हो गए। 
तब सिकंदर लोधी राजा ने कहा कि कबीर, यदि तू खुदा है तो इस गऊ को जीवित कर दे अन्यथा तेरा सिर भी कलम कर (काट) दिया जाएगा। साहेब कबीर ने एक बार हाथ गऊ के दोनों टुकड़ों को लगाया तथा दूसरी बार उसके बच्चे के टुकड़ों को लगाया। उसी समय दोनों माँ-बेटा जीवित हो गए। साहेब कबीर ने गऊ से दूध निकाल कर बहुत बड़ी देग (बाल्टी) भर दी
तथा कहा - 
गऊ अपनी अम्मा है, इस पर छुरी न बाह। 
गरीबदास घी दूध को, सब ही आत्म खाय।।
चुटकी तारी थाप दे, गऊ जिवाई बेगि।
गरीबदास दूझन लगी, दूध भरी है देग।।

💥"सेउ की कटी हुई गर्दन को जोड़ना"
परमात्मा कबीर ने अपने भक्त की कटी हुई गर्दन वापिस जोड़ दी थी।
आओ सेउ जीम लो,यह प्रसाद प्रेम।
सिर कटते हैं चोरों के,साधों के नित्य क्षेम।।
ऐसी-2 बहुत लीलाएँ साहेब कबीर (कविरग्नि) ने की हैं जिनसे यह स्वसिद्ध है कि ये ही पूर्ण परमात्मा हैं। सामवेद संख्या नं. 822 तथा ऋग्वेद मण्डल 10 सूक्त 162 मंत्र 2 में कहा है कि कविर्देव अपने विधिवत् साधक साथी की आयु बढ़ा देता है।
💥"काशी का अद्भुत भंडारा"
शेखतकी मुस्लिम पीर ने कबीर साहेब को नीचा दिखाने के लिए 3 दिन के भंडारे की कबीर साहेब के नाम से सभी जगह झूठी चिठ्ठी डलवाई थी कि कबीर जी तीन दिन का भंडारा करेंगे, सभी आना। भोजन के बाद एक मोहर, एक दोहर भी देंगे। कबीर साहेब ने तीन दिन का मोहन भंडारा कराया और लाखों की संख्या में उनके अनुयायी हुए।
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Real_Ram

असली राम कौन है ? राम शब्द का अभिप्राय प्रभु से होता है क्योंकि अगर हम राम शब्द का अभिप्राय केवल भगवान श्री राम जो कि द्वापर युग...