Wednesday, July 15, 2020

CoronaLikeEpidemic

महामारी क्यों आती है :-जब जिस देश में अथवा स्थान पर पुण्य का ह्रास तथा पाप की अधिकता होती है तथा मानव राक्षसी कार्यों में संलग्न हो जाता है एवं निर्दयता पूर्ण आचरण करने लग जाता है तब उस देश एवं स्थान पर ऐसी बीमारियां अथवा महामारी प्रवेश करती है जिन से बच पाना मनुष्य के लिए नामुमकिन सा हो जाता है अथवा उन बीमारियों से निजात पाने के लिए कोई दवा कारगर नहीं साबित होती है तथा उस बीमारी से उठी परेशानियों का सामना हमें प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष दोनों रूप से करना पड़ता है यह बीमारियां पुरातन काल में भी आई थी तथा वर्तमान में भी हम एक ऐसी ही महामारी का प्रकोप झेल रहे हैं जैसे कि कोरोना एक वैश्विक स्तर की महामारी है जिसे WHO ने वैश्विक लाइलाज महामारी घोषित किया है
बचने के उपाय:-लाइलाज होने के कारण उनका कहीं भी लाज हो पाना साइंस के लिए मुश्किल है मेडिकल साइंस सिर्फ से बचने के लिए कई तरीके अपनाती हैं जिससे आप उन लोगों के संपर्क में ला रहे हैं जिन्हें यह बीमारी है इसके अलावा मेडिकल साइंस में भी इसका कोई भी इलाज नहीं है

से बचने के लिए उपाय दो तरीके से इसका उपाय निकाला जा सकता है
*पहला मेडिकल साइंस के अनुसार*  
मेडिकल साइंस केवल बचने के लिए ही उपाय बता सकती हैं जैसे सैनिटाइजर का उपयोग हाथ और शरीर के लिए करना तथा मुंह पर मास्क लगाना आदि आदि कुल मिलाकर इस बीमारी से निजात पाने के लिए कोई उपाय नहीं मेडिकल साइंस के अनुसार केवल बचने के उपाय ही है


*दूसरा आध्यात्मिक रूप से अथवा सद्भक्ति से*
दूसरा आध्यात्मिक रूप से सत भक्ति करने से कई बीमारियों से निजात मिलता है जैसे कैंसर ट्यूमर एड्स आदि कई प्रकार की लाइलाज मारिया एवं महामारी से निजात मिलता है
केवल आवश्यकता होती है सद्भक्ति एवम् सद्गुरु की
अब सबसे बड़ी समस्या यह आ जाती है कि


 *सदगुरु और सद्भक्ति को कैसे पहचाने*
सद्गुरु वही होता है जो गीता अध्याय 15 श्लोक 1 से 4 तक में उल्टे लटके हुए संसार रूपी वृक्ष को जड़ से पत्तों तक गिराने वाला तत्वज्ञान बताने वाला तत्वदर्शी संत होता है
तथा कुरान शरीफ के सूरत फुरकानी 25 आयत 52 से 59 में जिस बा खबर के लिए बताया गया है उस बा खबर की खोज करने के पश्चात अथवा तत्वदर्शी संत खोज करने के पश्चात
सारे पापों से निजात मिलता है बीमारियों से निजात मिलता है घोर से घोर पाप का विनाश होता है तथा मोक्ष की प्राप्ति भी होती है
जिसका प्रमाण यजूर्वेद के अध्याय 5 के मंत्र 32 में लिखा हुआ है


समाधान के प्रत्यक्ष प्रमाण :-सत भक्ति करने से सभी पापों का विनाश एवं देहीक अध्यात्मिक तथा सांसारिक लाभ भी मिलते हैं लेकिन इसके लिए पूर्ण गुरु बनाना आवश्यक है जो कि वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ही है जो पवित्र वेद पुराण कुरान गुरु ग्रंथ साहिब व बाइबल के अनुसार ज्ञान बता रहे हैं जो कि सभी सत ग्रंथों तो से प्रमाणित है इनमें सभी में सदगुरुदेव जी ने प्रमाणित कर दिया है कि कबीर परमेश्वर ही पूर्ण परमात्मा है तथा उनकी भक्ति करने से ही यह सभी लाभ हमें भक्ति करने के दौरान मिलते हैं 
पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने के लिए ना किसी शुल्क का देना निशुल्क भोजन निशुल्क नाम दीक्षा किसी तरह की कोई ठगी नहीं यह भी सद्गुरु की पहचान होती है जो केवल परोपकार के लिए ही कार्य करते हैं
ऐसे कई प्रमाण है जिनकी लाइलाज बीमारियां पूर्ण परमात्मा की सत भक्ति करने से बिना किसी मेडिकल दवाइयों के ठीक हो गई तथा सांसारिक सुखों की प्राप्ति भी हुई तथा कई आध्यात्मिक लाभ भी हुए है जिनमें कुछ इस प्रकार हैं

Wednesday, July 8, 2020

KnowledgeAndScience

ज्ञान :-  ज्ञान उसे कहते हैं जो किसी वस्तु व्यक्ति अथवा स्थान के बारे में जानकारी हो उस जानकारी के ऊपर किसी व्यक्ति विशेष का दृढ़ निश्चय हो की पूर्ण रूप से वह उसे जानता है उसे ज्ञान कहा जाता है

*विज्ञान* विज्ञान उसे कहते हैं जिस ज्ञान को प्रमाण सहित प्रमाणित किया जा सके उसे विज्ञान कहते है विज्ञान तथ्यों पर व प्रमाण पर ही टिकी होती है जिसका जन विशेष नहीं सबका दृढ़ निश्चय होता है यह पूर्णतया सत्य है


तत्वज्ञान भी विज्ञान होता है फिर से शास्त्रों में संतों का ज्ञान तत्वज्ञान कहा गया है क्योंकि वह पूर्ण तरह से प्रमाणित होता है तथा व्यवहारिक रुप से भी श्रेष्ठ तथा प्रमाणित होता है यहां तत्व का अर्थ मूल भाव से होता है जिससे पर्दा पूर्ण संत एवं सद्गुरु ही उठा सकते हैं अन्य नहीं

गीता अध्याय 15 मंत्र 1 से 4 में तत्वदर्शी संत के बारे में बताया है कि उसकी प्राप्ति के पश्चात संवाद प्रणाम करके सरलता पूर्वक प्रश्न करने से वह मोक्ष मार्ग का रास्ता प्रशस्त करता है तथा उस लोक में ले जाता है जो गीता के अध्याय 18 श्लोक 62, वें में लिखा हुआ है सनातन परमधाम शाश्वत स्थान आदि नामों से बताया गया है जो विनाश में नहीं आता है नहीं वहां की जीवात्मा जन्म मृत्यु के चक्र में हैं जहां  जाने के बाद जन्म मृत्यु नहीं होता सदा सदा के लिए सुख एवं जन्म जन्म मरण से छुटकारा मिलता है


Saturday, July 4, 2020

कबीरपरमेश्वर_की_लीलाएं DivinePlay_Of_GodKabir

कबीर परमेश्वर जी द्वारा अपने जीवन में  लीलाएं की जो अद्भुत एवं चमत्कारिक थी उन्होंने अपनी प्यारी आत्माओं का कल्याण किया उन्हें सत भक्ति दिखाकर मोक्ष मार्ग प्रदान किया इन्हीं लीलाओं में कुछ इस प्रकार हैं दामोदर सेठ के डूबते हुए जहाज को बचाना सेठ धर्मदास जी को माया के जाल से छुड़ाना मीराबाई को श्री कृष्ण से ऊपर परम शक्ति का ज्ञान कराकर मुक्त करवाना संत रविदास जी को ज्ञान देकर उनका मार्गदर्शन करना स्वामी रामानंद जी को ज्ञान देकर जातिभेद मिटाना वेश्या गणिका को ज्ञान देकर सद्भक्ति देकर उसका मोक्ष करवाना जीवा दत्ता के सूखे पेड़ को फिर से हरा-भरा करना आदरणीय गरीबदास जी को 10 वर्ष की उम्र में सद्भक्ति एवं ज्ञान कराना आदि कई लीलाएं 

Wednesday, July 1, 2020

true.devotion

saint Rampal Ji Maharaj

  •  प्रश्न:- सद्भक्ति क्यों करना जरूरी है ?
      उत्तर:- सत भक्ति इसलिए जरूरी है क्योंकि हमें  जीवन में आर्थिक आध्यात्मिक व शारीरिक लाभ मिले जिसके जीवन में अत्यंत आवश्यक है

  • सत भक्ति के लाभ 
आज हम लाभ के लिए भटक रहे हैं कि हमें किसी भी तरह से आध्यात्मिक आर्थिक मैं मानसिक शारीरिक लाभ मिले लेकिन यह सब भी बिना परमात्मा की कृपा के बिना सत भक्ति के बिना पूर्ण गुरु की शरण में गए हमें नहीं मिल सकते क्योंकि पूर्ण गुरु शक्तियों के से परिचित करवाता है जिनसे यह लाभ प्राप्त होते हैं इसीलिए श्रीमद्भगवद्गीता में कहां गया है
  • श्रीमद् भगवतगीता से प्रमाण
श्रीमद भगवद गीता अध्याय 16 मंत्र 23 और 24 के अनुसार जो भी व्यक्ति शास्त्र अनुकूल भक्ति नहीं करता है उसे न तो सिद्धि प्राप्त होती है नहीं उसके कार्य सिद्ध होते हैं नहीं उसे कोई लाभ मिलता है अतः हमें
  •          
  • भक्ति करनी चाहिए तथा शास्त्र अनुकूल भी होनी चाहिए ताकि हमें वर्तमान में जी रहे जीवन में भी सुख मिले और मृत्यु उपरांत जम के दुतो से छुटकारा तथा सतलोक उस सनातन परमधाम में वास मिले जा वहां जाकर व्यक्ति जन्म मरण के चक्कर में दोबारा नहीं पड़ता है तथा पृथ्वी लोक पर उसका आगमन पुनः नहीं होता है
        
  • पूर्ण परमात्मा के मंत्र का जाप का प्रमाण
भगवत गीता में वर्णित गीता अध्याय 17 श्लोक 23 में लिखा हुआ है कि ओम तत्सत इस तरह से तीन प्रकार से पूर्ण गुरु से प्राप्त मंत्र सर्व सुखो कथा पूर्ण मोक्ष के लिए अत्यंत आवश्यक है इसीलिए भक्ति करना आवश्यक है हमें भक्ति करने पर सर्व लाभ एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है

वर्तमान में पूर्ण सद्गुरु एवं उनकी पहचान
           

  • श्रीमद भगवत गीता के अनुसार पूर्ण सद्गुरु अध्याय 15 श्लोक 1 के अनुसार उल्टे लटके हुए संसार रूपी वृक्ष को जड़ से पत्तो तक गिनाने वाला वह उसके सभी भाग का वर्णन करने वाला गुरु ही पूर्ण गुरु होता है तथा उसके अनुसार बताई गई साधना से सांसारिक सुख एवं आध्यात्मिक लाभ प्राप्त होते हैं वर्तमान में केवल संत रामपाल जी महाराज ही पूर्ण संत है जो शास्त्र अनुसार शास्त्र अनुकूल भक्ति बता रहे हैं तथा उनसे मिलने वाले लाभों का वर्णन भी बता रहे हैं से नाम उपदेश लेकर हमें उन अध्यात्मिक शक्तियों का आभास होता है जो आज दिन तक गुप्त थी
अधिक अधिक जानकारी के लिए देखिए साधना टीवी चैनल 7:30 से 8:30 बजे तक तथा पढ़िए ज्ञान गंगा पुस्तक तथा डाउनलोड कीजिए से फ्री में संत रामपाल जी महाराज जी की वेबसाइट से

Real_Ram

असली राम कौन है ? राम शब्द का अभिप्राय प्रभु से होता है क्योंकि अगर हम राम शब्द का अभिप्राय केवल भगवान श्री राम जो कि द्वापर युग...