कबीर जयंती और कबीर प्रकट दिवस में अंतर
जो जन्मता है उसकी जयंती मनाई जाती है, जो अजन्मा है, स्वयंभू है, वह प्रकट होता है। कबीर साहेब, अमर पुरूष लीला करते हुए बालक रूप धारण करके स्वयं प्रकट होते हैं।
चारों युगों में सिर्फ कबीर परमात्मा के प्रकट होने के ही प्रमाण हैं
सतयुग में सत सुकृत नाम से,
त्रेता में मुनीन्द्र नाम से,
द्वापर में करुणामय नाम से,
और कलयुग में अपने असली नाम कबीर नाम से प्रकट होते हैं।
बाकी सभी देव मां के गर्भ से जन्म लेते हैं।
सिर्फ कबीर जी का ही प्रकट दिवस क्यों ?*
ऋग्वेद मंडल नंबर 9 सूक्त 1 मंत्र 9 में प्रमाण है कि वह परमात्मा सतलोक से शिशु रूप धारण करके प्रकट होता है और कुंवारी गायों के दूध से उसकी परवरिश होती है ।
ऋग्वेद मंडल नंबर 9 सूक्त 96 मंत्र 17 में भी वर्णन है कि पूर्ण परमात्मा कबीर जी जान बूझकर बालक रूप में प्रकट होते है।
इसलिए उनका प्रकट दिवस मनाया जाता है ।
जयंती और प्रकट दिवस में अंतर जानें
जो मां के गर्भ से जन्म लेते हैं, उनका जन्म दिवस मनाया जाता है लेकिन पूर्ण परमात्मा कबीर जी का प्रकट दिवस मनाया जाता है क्योंकि वह अविनाशी परमात्मा है।
सभी देवों का जन्म दिवस तो आखिर कबीर जी का प्रकट दिवस क्यों ?